Ford ने 1995 में India में प्रवेश किया और तब से देश भर में नए और मौजूदा ग्राहकों के लिए विनिर्माण सुविधाओं और बिक्री और सेवा केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए अरबों अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। फोर्ड भारत में न केवल घरेलू बाजार के लिए, बल्कि विभिन्न निर्यात बाजारों के लिए भी इंजन और वाहनों का उत्पादन करती हैं।
कंपनी ने गुरुवार को भारतीय परिचालन के पुनर्गठन की घोषणा की जिसके तहत कंपनी ने देश में अपने दो संयंत्रों में वाहनों का निर्माण बंद करने का फैसला किया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 4,000 कर्मचारियों की नौकरी पर बन आई है।
Ford India ने यह फैसला क्यों लिया?
कंपनी को पिछले कुछ वर्षों में भारी नुकसान हुआ है जिसके मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। कंपनी ने कहा कि उसे पिछले 10 वर्षों में 2019 में $ 2 बिलियन, $ 0.8 बिलियन की गैर-ऑपरेटिंग संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की मुख्य वजह है कंपनी की भारतीय बाज़ार में कम हिस्सेदारी होना। कंपनी की भारतीय कार बाजार में हिस्सेदारी अभी भी 1.8 फीसदी है।
भारत में, फोर्ड मोटर द्वारा अपना परिचालन बंद करने के साथ, यह चौथी ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई है जो पिछले पांच वर्षों में ऑटोमोबाइल बाजार में परिचालन बंद करने वाली है। फोर्ड से पहले अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स (जीएम) और अमेरिकी मोटरसाइकिल कंपनी हार्ले-डेविडसन भारत में अपना संचालन बंद कर चुकी है। पिछले साल सितंबर में, हार्ले-डेविडसन ने गुड़गांव में अपने बिक्री संचालन के आकार को "काफी कम" करने के अलावा, बावल, हरियाणा में अपनी उत्पादन सुविधा को बंद करने की घोषणा की थी।
Ford India में कैसा प्रदर्शन कर रही थी?
मोटे तौर पर, भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में जापान की मारुति सुजुकी और दक्षिण कोरिया की हुंडई का वर्चस्व है, इन दोनों की कुल बाजार हिस्सेदारी का 60 प्रतिशत हिस्सा है। दूसरी ओर, पिछले कई वर्षों से फोर्ड की बाजार हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से नीचे रही है। अगस्त में, भारतीय बाजारों में फोर्ड की हिस्सेदारी 1.4 प्रतिशत थी। इससे पहले फोर्ड ब्राजील के बाजार से बाहर हो चुकी है।
क्या कंपनी पूरी तरह से भारत से बाहर निकल रही है?
हालांकि, फोर्ड ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कंपनी भारत के बाजार से पूरी तरह से बाहर नहीं निकलेगी, और अपने 'फोर्ड बिजनेस सॉल्यूशंस' पर ध्यान केंद्रित करेगी क्योंकि वह देश में "स्थायी रूप से लाभदायक" व्यवसाय बनाना चाहती है।
कंपनी ने अपने बयान में उल्लेख किया कि इस कठिन समय से बचने के लिए कंपनी ने हर संभव विकल्प तलाशने की कोशिश की और उसके बाद ही यह निर्णय लिया। कंपनी ने कहा की उन्होंने साझेदारी, प्लेटफॉर्म शेयरिंग, अनुबंध विनिर्माणऔर इसके विनिर्माण संयंत्रों को बेचने जैसे विकल्पों पर विचार किया। फोर्ड ने कारों के उत्पादन के लिए भारतीय कार निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा से संपर्क किया, हालांकि, उस सौदे पर ज्यादा प्रगति नहीं हुई। यदि फोर्ड इंडिया और घरेलू कार निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा ने समजौता किया होता और एक संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू की होती तो यह फोर्ड मोटर्स के लिए भारत में एक जीवन दान की तरह होती क्योंकि कंपनी अपनी वर्तमान लागत से कम लागत पर कारों का उत्पादन जारी रख सकती थी।
Ford India की वो गाडिआ जिन्होंने भारतीय ग्राहकों के दिलो में अपनी जगह बनाई
Ford Ikon कंपनी की वो गाड़ी है जिसे हर भारतीय अपना बनाना चाहता था। यह गाड़ी 1999 में लॉन्च हुई थी। Ford Ikon कंपनी की पहली गाड़ी थी जिसने भारत में अच्छी बिक्री का रिकॉर्ड बनाया। Ikon के बाद Ford Endeavour और Ecosport कंपनी के लिए कोहिनूर साबित हुई। परन्तु इतनी लोकप्रिय और कारगर उत्पाद बनाने के बाद भी कंपनी भारत में अपने लिए स्थाई जगह नहीं बना पाई।
Ford India के इस निर्णय से ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा ?
जनरल मोटर्स के जैसे फोर्ड पूरी तरह भारत छोड़ कर नहीं जा रही है। फोर्ड ने यह स्पष्ट कर दिया है कंपनी पुर्जों की आपूर्ति जारी रखेगी और सर्विसिंग के साथ ग्राहकों का समर्थन करना जारी रखेगी।हालांकि डीलरों के प्रभावित होने की संभावना है, फोर्ड आगामी मस्टैंग मच-ई, फोर्ड रेंजर और निश्चित रूप से मस्टैंग जैसे प्रीमियम मॉडल का आयात करना जारी रखेगी।ईकोस्पोर्ट, फिगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल और एंडेवर जैसे मौजूदा मॉडलों की बिक्री एक बार इन्वेंट्री क्लियर हो जाने के बाद समाप्त हो जाएगी।
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